Mar
05
Anuj Gupta
हर शख्स यहाँ जल्दी मे है... हर दुकानदार को जल्द से जल्द सामान बेच घर जाने की जल्दी है...तो हर खरीददार को सस्ता सामान खरीद ने की...शहर के बीच इस शोर भरे बाज़ार मे हर सामान पर बोली पर बोली लग रही है... इन्ही दुकानों के बीच मुखोटों की एक दुकान...बहुत भीड़ थी वहाँ... धक्के -मुक्के के साथ घुसना भी मुमकिन न था

हर शख्स अपनी-अपनी पसंद का , जरूरत का, आकार का, रंग का और औकात के हिसाब का मुखौटा ढूँढने में मशगूल थे... किसी को भी अपने साथ वाले की खबर न थी... कुछ देर तो समझ न आया कि माज़रा क्या है ... जो अपनी पसंद के मुखौटे पसंद कर चुके थे वो भाव-तौल में फँसे थे....
कोई सामाजिकता के मुखौटे मे अपने आकार का मुखौटा ढूँढता, कोई संवेदनाओं के मुखौटे मे अपना पसंदीदा रंग तलाशता, कोइ हमदर्दी और मददगारी के मुखौटे मे कुछ परिवर्तन करना चाहता तो कोई दो पसंदीदा मुखौटे के मिश्रण को खोजता ... और कोई तो इन सब पर आशा, विश्वास, सादगी, सहयोग और मासूमियत के भाव का लेप भी करवाना चाहते.... सब कुछ उपलब्ध था वहाँ पर.... कीमत आपकी जरूरत-विशेष के हिसाब से...

ये माजरा समझने में ज्यादा समय न लगा...बचपन मे जब किसी रिश्तेदार या पडोसी के दोहरे रूप के बारे मे सुनता तो अंदर से एक चिढ सी होती.... उस रिश्तेदार के आने पर उससे नहीं मिलता या उस पडोसी के घर जाना कम कर देता ... आज पुरानी यादे फिर ताज़ा हो गयी...वक्त और हालातों ने बहुत कुछ बदल दिया है...

इतने मे एक नेता जी अपनी सफ़ेद लाल बत्ती वाली एम्बेसडर से उतरे... कुछ देशसेवा और हमदर्दी मिश्रित वाले मुखौटा बनाने का ऑर्डर दिया... तो वहीँ एक व्यवसायी ने जागरूक और सामाजिकता वाला मुखौटा बनवाया... इस दौड़ में डॉक्टर और सरकारी बाबू भी पीछे नहीं थे ... एक ने दयावान मुखौटे पर जनसेवा का लेप लगवाया तो सरकारी बाबू ने ईमानदारी के मुखौटे में महानता के हाव भाव बनवाये .... पुरुषों की इस दौड़ में महिला कहाँ पीछे रहने वाली थी...एक महिला ने भी संवेदनशीलता और विश्वास के मुखौटे पर सुन्दरता का लेप चढ़ाया ।

इस मुखौटे की दौड़ में हम कहाँ पीछे रहने वाले थे...लपक लिए दुकान के अंदर अपने लिए भी एक अक्लमंदी, समझदारी और संजीदगी का मुखौटा ढूँढने ...
1 Response
  1. आपने समाज के जिस सार्वभौमिक सत्य की बात की है वह इस समाज का एक अखंडनीय रूप है. इंसान का एक ही चेहरे में ताउम्र रहना उसे सरल बनता है. मैंने बहुत कम लोग एक ही चेहरे के साथ देखे हैं....आशा करता हूँ कि आप अपने मन की बात यूँ ही लिखते रहेंगे.


Post a Comment