Feb
21
बस एक प्यास है, तुम्हे जानने की,
मंजिल तक पहुँचने की, जिसे मैंने न देखा,
न जाना, न कभी पहचाना,
संकेत भी नहीं है मेरे पास,
पर फिर भी,
बस वही है मेरी आस, यही है चाह,
जुड़े राहें, मंजिल मिले,
न कोई कदम फिसले,
न कोई भटके,
बस चलता रहूँ ,
अपने सपनो मे ही - रमता रहूँ ,
चाहे थकूँ, चाहे गिरूँ,
पर गिर-गिर कर भी उठूँ ,
संकल्प न टूटे, साहस न रूठे,
पग -पग पर जागूँ,
समझूँ जीवन को,
जो है एक सतत परीक्षण,
स्वयं का सतत निरीक्षण,
बस बढता रहूँ, चलता रहूँ,
मंजिल तक पहुचूँ न पहुचूँ,
पर साहस न छूटे,
हर अवरोध टूटे,
मेरा विवेक,
मुझसे कभी न रूठे ....
मंजिल तक पहुँचने की, जिसे मैंने न देखा,
न जाना, न कभी पहचाना,
संकेत भी नहीं है मेरे पास,
पर फिर भी,
बस वही है मेरी आस, यही है चाह,
जुड़े राहें, मंजिल मिले,
न कोई कदम फिसले,
न कोई भटके,
बस चलता रहूँ ,
अपने सपनो मे ही - रमता रहूँ ,
चाहे थकूँ, चाहे गिरूँ,
पर गिर-गिर कर भी उठूँ ,
संकल्प न टूटे, साहस न रूठे,
पग -पग पर जागूँ,
समझूँ जीवन को,
जो है एक सतत परीक्षण,
स्वयं का सतत निरीक्षण,
बस बढता रहूँ, चलता रहूँ,
मंजिल तक पहुचूँ न पहुचूँ,
पर साहस न छूटे,
हर अवरोध टूटे,
मेरा विवेक,
मुझसे कभी न रूठे ....